बाहरी अनुष्ठान और क्रियाएं अज्ञान को नष्ट नहीं कर सकते
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सर्वेषां मङ्गलम भवतु सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु – सर्वेषां शान्तिर्भवतुसर्वेषां पूर्णं भवतु – सर्वेषां मङ्गलम भवतु
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इतने बेताब – इतने बेक़रार क्यों हैंलोग ज़रुरत से ज़्यादा होश्यार क्यों हैं मुँह पे तो सभी दोस्त हैं लेकिनपीठ
इतने बेताब क्यों हैं Read More »
Everything you need is already inside you. Whatever you need for your personal progress is already with you. You don’t
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अंधे चश्मदीद गवाह – बहरे सुनें दलीलझूठों का है दबदबा – सच्चे होत ज़लील Andhay chashmdeed gavaah – Behray sunen
झूठों का है दबदबा – Jhoothon ka hai dabdabaa Read More »
शख़्स बनाम शख़्सीयत — Person vs Personality شخص بنام شخصیت एक शख़्स नहीं – शख़्सीयत बन कर जीओ।क्योंकि शख़्स तो
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